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Sunday, February 2, 2020

  क्रांतीकारक राजे उमाजी नाईक


उमाजी नाईक। क्रांतीचा अंगार। जुलमी नंगर। तोडियेला।।
भिवडी गावचे । दादोजी नाईक। गडाचे पाईक। पुरंदर।।१।।
राजे शिवाजींची। प्रेरणा घेऊन। बांधले तोरण। उमाजीने।।
शपथ घेऊन। लावीला अंगारा। उधळी भंडारा। स्वराज्याचा।।२।।

धिप्पाड उमाजी। कणखऱ बाणा। रयतेचा राणा। शोभतसे।।
-हेचा पठार। शौर्याची ही खाण। गडाचीही शान। पुरंदर।।३।।
आद्य क्रांतीवीर। उमाजींचे बंड। थोपटले दंड। विरोधात।।
राजे उमाजीचा। काय सांगू थाट। डोंगराचे तट। संवगडी।।४।।

तुजोरी लुटली। स्वराज्यासाठी। हाणुनीया काठी। नाठाळाच्या।।
जुलमी इंग्रज। होती खूप चीड। मोडलीना खोड। उठावाने ।।५।।
इंग्रज हाकला। वाचवा देशाला। म्हणून मांडला। जाहिरनामा।।
गद्दाराची कधी। नाही केली गय। घाबरतं भय। उमाजीला।।६।।

जनतेला वाटे.। उमाजीच राजा।। होई गाजा वाजा। भवताली।।
खुशाबा विठोजी। जीवाचे सोबती। बाबू कृष्णा सत्तू। कीती सांगू ।।७।।
दादोजी वडील। माता लक्ष्मीबाई। बहिण जिजाई। सोबतीला।।
भांबुर्डा तिजोरी। दिवसा लुटली। गरिबां वाटली। आनंदाने।।८।।

उमाजी पुतळ। कहाणी प्रेमाची। खंडोबा बाणाई। देवाचीच।।
काळोजी फितुर। इंग्रजाना झाला। दिला दगा त्याला। जिजानेही।।९।।
उमाजी पकडा। इंग्रजी आदेश। जाहीर बक्षीस। केले बघा।।
पोखर कोडीती। युद्ध झाले फार। पडलेना गार। माँटिकस।१०।।

इंग्रजी मुंडकी। पाठविली थेट। उमाजीने भेट। मामलेदारा।।
लपाया डोंगर। पांगारे पिंगोरी। फिरे काळदरी। रात्रदिंन।।११।।
उत्रोली गावात। पकडले वीरा। लागू दिला ना थारा।।इंग्रजानी।।
दगा फटक्याने । नाही घाबरला। हसतच गेला। फासावर।।१२।।

(प्रसिद्ध साहित्यिक दशरथ यादव यांच्या शिवधर्मगाथेतून साभार)

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